Delhi CM Oath: आतिशी 21 सितंबर को शपथ लेंगी। सबसे बड़ा सवाल यह है कि वो विधायक कौन हैं जिन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा?

Delhi CM Oath:

Delhi CM Oath: आतिशी 21 सितंबर को शपथ लेंगी। सबसे बड़ा सवाल यह है कि वो विधायक कौन हैं जिन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा?

 

Delhi CM Oath: कि आतिशी के साथ कैलाश गहलोत, सौरभ भारद्वाज, इमरान हुसैन और मुकेश अहलावत समेत पांच मंत्री भी शपथ लेंगे। आइए जानते हैं दिल्ली की नई कैबिनेट के बारे में।

  1. 21 सितंबर को आतिशी लेंगी सीएम पद की शपथ।
  2. कैलाश गहलोत और सौरभ भारद्वाज समेत पांच लोग लेंगे शपथ।

 नई दिल्ली। दिल्ली की भावी मुख्यमंत्री आतिशी और उनका मंत्रिमंडल 21 सितंबर को शपथ लेंगे। आतिशी मार्लेना अरविंद केजरीवाल की जगह लेंगी। कहा जा रहा है कि आतिशी के साथ 5 मंत्री शपथ ले सकते हैं।

कैबिनेट में शामिल होने वाले संभावित मंत्रियों के नामों पर चर्चा जोरों पर है। इन नामों में गोपाल राय (Gopal Rai), कैलाश गहलोत (Kailash Gehlot), सौरभ भारद्वाज (Saurabh Bhardwaj), इमरान हुसैन और मुकेश अहलावत (Mukesh Ahlawat) शपथ ले सकते हैं।

टेस्‍ट में धोनी ने  6 शतक ठोके, वो अभी ही 5 सैकड़े जड़ चुका है’, रिकी पोंटिंग के चेतावनी भरे बयान ने मचाई खलबली

टेस्‍ट में धोनी ने  6 शतक ठोके, वो अभी ही 5 सैकड़े जड़ चुका है’, रिकी पोंटिंग के चेतावनी भरे बयान ने मचाई खलबली

 

टेस्‍ट में धोनी ने  6 शतक ठोके रिकी पोंटिंग ने टेस्ट टीम में ऋषभ पंत की वापसी पर ऑस्ट्रेलिया टीम को चेतवानी दी है। आगामी बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी से पहले रिकी पोंटिंग ने ऑस्ट्रेलिया को चेतावनी देते हुए कहा कि उसके नटखटपन से मूर्ख न बनें। वह बेहतरीन बल्लेबाज हैं। पोंटिंग ने पंत की तुलना एमएस धोनी से भी की। पोंटिंग ने पंत को मैच विजेता खिलाड़ी बताय

  1. रिकी पोंटिंग ने एमएस धोनी से की पंत की तुलना
  2. ऋषभ पंत को बताया मैच विजेता खिलाड़ी
  3. बॉर्डर-गावस्कर में ऑस्ट्रेलिया को दी सावधान रहने की सलाह

 नई दिल्ली। ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान रिकी पोंटिंग ने ऋषभ पंत को मैच विजेता बताया है। उनका मानना ​​है कि भारत के विकेटकीपर बल्लेबाज ने इतने कम समय में अपने देश के लिए जो किया है, वह उनकी महानता का प्रमाण है। पंत ने इस साल की शुरुआत में चोट से शानदार वापसी करते हुए भारत के लिए तीनों प्रारूपों में अपनी जगह पक्की कर ली है।

वहीं, भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया के कठिन दौरे के लिए तैयार है। पंत पिछली बार की तरह इस बार भी भारत के लिए मैच जिताऊ पारी खेल सकते हैं। अपनी चंचलता और स्टंप माइक पर बातचीत के कारण पंत को अक्सर मजेदार खिलाड़ी माना जाता है, लेकिन पोंटिंग ने ऑस्ट्रेलिया को उनसे मूर्ख न बनने की चेतावनी दी और कहा कि वह किसी भी अन्य खिलाड़ी की तरह ही गंभीर खिलाड़ी हैं।

धोनी से की पंत की तुलना

स्काई स्पोर्ट्स से बात करते हुए पोंटिंग ने कहा, हम सभी ने उसे खेलते हुए देखा है और स्टंप माइक में उसकी आवाज सुनी है। वह अपने क्रिकेट से प्यार करता है, वह एक विजेता है। वह सिर्फ कुछ रन बनाने और मौज-मस्ती के लिए नहीं खेलता। उसने कम टेस्ट मैच 5 टेस्ट शतक जड़ दिए हैं। एमएस धोनी ने 90 टेस्ट खेले और 6 शतक बनाए हैं। यह दर्शाता है कि यह लड़का पंत कितना अच्छा है। वह एक गंभीर क्रिकेटर है।

कुलदीप यादव के साथ करते दिखे मस्ती

गौरतलब हो कि पंत हाल ही में दलीप ट्रॉफी के पहले दौर के मैच में इंडिया बी के लिए खेले, जहां उन्होंने 7 और 61 रन बनाए। उन्हें कुलदीप यादव के साथ मस्ती करते हुए देखा गया और यहां तक कि विपक्षी टीम के घेरे में भी घुस गए। हालांकि, पोंटिंग का कहना है कि इससे पंत की प्रतिस्पर्धात्मकता को कम नहीं किया जा सकता।

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Uchana Kalan Seat: में  मुकाबला तो देवीलाल के ‘परिवार’ का  है, BJP पिछड़ चुकी हे, जानिए क्या कह रहे सियासी जानकर 

Uchana Kalan Seat: में  मुकाबला तो देवीलाल के ‘परिवार’ का  है, BJP पिछड़ चुकी हे, जानिए क्या कह रहे सियासी जानकर

Uchana Kalan Seat: उचाना कलां सीट पर मुकाबला चौटाला और चौधरी परिवार के बीच रही है. इस चुनाव कांग्रेस ने बीरेंद्र सिंह के बेटे बृजेंद्र सिंह तो जेजेपी से दुष्यंत चौटाला और बीजेपी से देवेंद्र अत्री उम्मीदवार हैं.

दिल्ली: हरियाणा में 5 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Election 2024) होने हैं. वैसे तो राज्य में मुख्य लड़ाई बीजेपी और कांग्रेस के बीच है, लेकिन बात अगर उचाना कलां की करें तो यहां बीजेपी कहीं दूर-दूर तक नजर नहीं आ रही है. यह हरियाणा की हॉट सीटों में से एक है. यहां पर मुख्य मुकाबला हमेशा चौधरी देवीलाल के परिवार के बीच ही रहा है. उचाना का मुकाबला उनके परिवार के इर्द-गिर्द ही घूमता रहा है. बेटे ओपी चौटाला ने यहां से पांच बार के विधायक बीरेंद्र चौटाला को हराया था.वहीं पोते दुष्यंत चौटाला ने बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेमलता को हराया था.इस चुनाव दुष्यंत इस सीट से चुनावी मैदान में हैं. अगर चाचा अभय भी मैदान में आ गए तो मुकाबला चौधरी देवीलाल के लालों का हो जाएगा. जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट.ये भी पढ़ें-हरियाणा : तोशाम में भाई Vs बहन का मुकाबला, एक्सपर्ट से समझें दोनों उम्मीदवारों का प्लस-माइनस पॉइंट

चौधरी बीरेंद्र सिंह का भी उचाना सीट पर अच्छा दबदबा रहा है.जुलाना, जींद और नरवाना में देवीलाल का प्रभाव माना जाता है. यहां पर उनका कोर वोट बैंक रहा है. दुष्यंत चौटाला की राह थोड़ी मुश्किल जरूर हो सकती है, क्यों कि लोगों के मन में उनकी एक अलग तरीके की इमेज बन गई है, क्यों कि दुष्यंत बीजेपी के साथ गठबंधन में रहे हैं. उन्होंने किसान आंदोलन से लेकर पहलवानों के मुद्दों तक, बीजेपी का ही साथ दिया. बीजेपी को लेकर एंटी इनकंबेंसी का माहौल दुष्यंत के खिलाफ जा सकता है.  वहीं जब बीरेंद्र सिंह और बृजेंद्र सिंह कांग्रेस में शामिल हुए, तब से ही माना जा रहा था कि उनको उचाना कलां सीट से चुनावी मैदान में उतारा जा सकता है. कयास ये भी हैं कि इस सीट से इनेलो के अभय चौटाला भी चुनावी मैदान में उतर सकते हैं. उन्होंने कुछ महीने पहले इसके संकेत भी दिए थे. अगर ऐसा हुआ तो उचाना कलां की लड़ाई और भी दिलचस्प हो जाएगी.

दरअसल उचाना कलां सीट पर जाट प्रत्याशी जीत हासिल करता रहा है. इस सीट पर जंग चौटाला और चौधरी परिवार के बीच रही है. साल 2009 में ओम प्रकाश चौटाला ने बीरेंद्र सिंह को हराया था.साल 2014 में चौधरी बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेमलता ने दुष्यंत चौटाला को मात दी थी. वहीं साल 2019 में इस सीट पर दुष्यंत चौटाला ने चौधरी बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेमलता को शिकस्त दी थी.

Uchana Kalan Seat:  में कब कौन जीता?

  • बीरेंद्र सिंह उचाना कलां सीट से 5 बार विधायक रहे
  • 2009-ओम प्रकाश चौटाला ने बीरेंद्र सिंह को हराया.
  • 2014-चौधरी बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेमलता ने दुष्यंत चौटाला को हराया.
  • 2019-दुष्यंत चौटाला नेबीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेमलता को हराया

 

उचाना कलां सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला

Uchana Kalan Seat:  चौधरी बीरेंद्र सिंह की करें तो वह उचाना कलां सीट से 5 बार विधायक रह चुके हैं. वह लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी से कांग्रेस में शामिल हो गए थे. कांग्रेस ने इस सीट से उनके बेटे बृजेंद्र सिंह को उम्मीदवार बनाया है. बृजेंद्र सिंह IAS थे. उन्होंने वीआरएस लेकर राजनीति में एंट्री की है. इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला देखा जा सकता है. पिछला रिकॉर्ड अगर देखें तो साल 2009 से इस सीट पर चौधरी देवीलाल के परिवार का दबदबा रहा है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस तरह अगर देखा जाए तो इस चुनाव में भी मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है.

कांग्रेस ने चौधरी परिवार पर जताया भरोसा

Uchana Kalan Seat: कांग्रेस ने इस लिस्ट से पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह के बेटे और पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह को टिकट दिया है. बृजेंद्र सिंह ने इसी साल बीजेपी छोड़ कांग्रेस जॉइन की थी.वहीं देबीलाल के परपोते और जेजेपी नेता दुष्यंत चौटाला भी इस सीट से चुनावी मैदान में हैं. यही वजह है कि उचाना कलां हॉट सीट बन गई है. बीजेपी ने इस सीट से देवेंद्र अत्री को मैदान में उतारा है.

कौन हैं दुष्यंत चौटाला?

दुष्यंत चौटाला चौधरी देवीलाल के परपोते हैं और जननायक जनता पार्टी के प्रमुख हैं. चौटाला ने जब से अपनी पार्टी बनाई है, तब से राज्य में बीजेपी और कांग्रेस के बीच का गणित जरूर बिगड़ गया है. दुष्यंत हमेशा खुद को देवीलाल की असली राजनीतिक विरासत बताते रहे हैं.

कौन हैं ओम प्रकाश चौटाला?

ओम प्रकाश चौटाला चौधरी देवीलाल के सबसे बड़े बेटे हैं और दुष्यंत चौटाला के पिता हैं. ओम प्रकाश 5 बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. उन्होंने साल 2009 में उचाना कलां सीट से चौधरी बीरेंद्र सिंह की पत्नी  प्रेमलता को शिकस्त दी थी. इससे ये तो साफ है कि उचाना कलां सीट पर देवीलाल के परिवार का दबदबा रहा है.

उचाना कलां सीट का इतिहास जानिए

Uchana Kalan Seat:  क्षेत्र हरियाणा का हॉट सीटों में शामिल है, यह विधानसभा सीट पहली बार साल 1977 में अस्तित्व में आई थी. इससे पहले यह नरवाना  और सफीदों विधानसभा क्षेत्र में बंटी हुई थी. उचाना कलां जब पहली बार विधानसभा क्षेत्र बना तो कांग्रेस के बीरेंद्र सिंह विधायक बने. उन्होंने

जनता पार्टी के रणबीर सिंह को हराकर जीत हासिल की थी. अब तक इस सीट पर 10 बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं, जिनमें पांच बार बीरेंद्र सिंह खुद विधायक रहे और एक बार उनकी पत्नी प्रेमलता ने जीत हासिल की थी. वहीं 4 बार देवीलाल परिवार के सदस्य या उनकी पार्टी का ही कोई उम्मीदवार यहां से जीत हासिल कर चुके हैं. साल 2019 के विधानसभा चुनाव में जब दुष्यंत चौटाला ने जब बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेमलता को शिकस्त दी तो तभी से इस सीट पर बीरेंद्र सिंह और चौटाला परिवार के बीच राजनीतिक लड़ाई शुरू हो गई.

Uchana Kalan Seat:  क्षेत्र से कांग्रेस का टिकट नहीं मिलने से नाराज वीरेंद्र घोघड़ियां तथा दिलबाग संडील ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का एलान किया है। दिलबाग संडील 11 सितंबर को नामांकन करेंगे, जबकि वीरेंद्र घोघड़ियां 12 सितंबर को। इससे पहले वह उचाना अनाजमंडी में आसपास के गांवों के लोगों की पंचायत करेंगे। यहीं से नामांकन पत्र दाखिल करने जाएंगे।

iPhone 16 Event: आज लॉन्च होंगी 16 Pro और iPhone 16 सीरीज, कीमत क्या होगी ?

iPhone 16 Event: आज लॉन्च होंगी 16 Pro और iPhone 16 सीरीज, कीमत क्या होगी ?

iPhone 16 series Launching आज iPhone 16 लॉन्च होने वाली है। भारतीय समयानुसार रात 1030 Apple आईफोन 16 लॉन्च इवेंट की शुरुआत होगी। iPhone 16 iPhone 16 Plus iPhone 16 Pro और iPhone 16 Pro Max। आईफोन 16 सीरीज iOS18 ऑपरेटिंग सिस्टम पर चलेगी। iPhone 16 बेस मॉडल की कीमत 799 डॉलर मानी जा रही है। फोन की कीमत भारत में करीब 66300 रुपये हो सकती है

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली।। iPhone यूजर्स के लिए आज का दिन काफी स्पेशल है। आज iPhone 16 लॉन्च होने वाली है। भारतीय समयानुसार रात 10:30 Apple आईफोन 16 लॉन्च इवेंट की शुरुआत होगी। यह इवेंट कैलिफोर्निया के एपल क्यूपर्टिनो पार्क में आयोजित किया जाएगा।

इस इवेंट को आर एपल की वेबसाइट और ऐप्पल टीवी ऐप पर लाइव देख सकते हैं। एपल के यूट्यूब चैनल पर भी लाइव स्ट्रीमिंग किया जाएगा। वहीं, इस इवेंट से जुड़ी पल-पल की जानकारी के लिए जागरण की ऑफिशियल वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं

चार मॉडल में हो सकती है iPhone 16 लॉन्च

जो जानकारी सामने आई है, उसके मुताबिक, आईफोन 16 सीरीज में चार मॉडल हैं। iPhone 16, iPhone 16 Plus, iPhone 16 Pro और iPhone 16 Pro Max। आईफोन 16 सीरीज iOS18 ऑपरेटिंग सिस्टम पर चलेगी। इस सीरीज के दो मॉडल,आईफोन 16 और आईफोन 16 प्लस में A18 चिपसेट मौजूद होंगे। वही आईफोन 16 प्रो और आईफोन 16 प्रो मैक्स में A18 Pro चिपसेट लगे होंगे।

भारत में क्या हो सकती है iPhone 16 की कीमत?

iPhone 16 बेस मॉडल की कीमत 799 डॉलर मानी जा रही है। इसका मतलब है कि फोन की कीमत भारत में करीब 66,300 रुपये हो सकती है। iPhone 16 Plus की कीमत 899 डॉलर यानी 74,600 रुपये हो सकती है।

प्रो मॉडल की बात करें तो iPhone 16 Pro को कंपनी 1,099 डॉलर में लॉन्च कर सकती है। जिसकी कीमत भारत में करीब 91,200 रुपये पड़ सकती है।वहीं, टॉप मॉडल iPhone 16 Pro Max की बात करें तो फोन को 1,199 डॉलर यानी 99,500 रुपये में लॉन्च किया जा सकता है।

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UGC NET की पूरी जानकारी: परीक्षा, तैयारी और अवसर

UGC NET की पूरी जानकारी: परीक्षा, तैयारी और अवसर

Introdction

UGC NET (यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट) भारत में एक प्रतिष्ठित परीक्षा है जो उम्मीदवारों को विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में सहायक प्रोफेसर और जूनियर रिसर्च फेलोशिप (JRF) के लिए योग्य बनाती है। यह परीक्षा राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) द्वारा आयोजित की जाती है और इसमें हजारों उम्मीदवार हर साल भाग लेते हैं।

UGC NET परीक्षा क्या है?

UGC NET एक राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा है जिसे शिक्षा क्षेत्र में करियर बनाने की इच्छा रखने वाले उम्मीदवारों के लिए आवश्यक माना जाता है। यह परीक्षा भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा संचालित होती है। UGC NET परीक्षा में सफलता प्राप्त करने वाले उम्मीदवार सहायक प्रोफेसर बनने के लिए पात्र होते हैं और कुछ मामलों में उन्हें जूनियर रिसर्च फेलोशिप भी प्रदान की जाती है।

UGC NET परीक्षा का उद्देश्य

UGC NET का मुख्य उद्देश्य उच्च शिक्षा संस्थानों में योग्य शिक्षकों और शोधकर्ताओं की नियुक्ति करना है। इसके अलावा, UGC NET के माध्यम से योग्य उम्मीदवारों को शोध कार्यों के लिए आर्थिक सहायता भी दी जाती है, जो उन्हें उच्च शिक्षा में अनुसंधान कार्यों को बढ़ावा देने में मदद करती है।

UGC NET के लिए पात्रता

UGC NET परीक्षा में भाग लेने के लिए उम्मीदवारों को कुछ निश्चित पात्रता मानदंडों को पूरा करना होता है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण है शैक्षणिक योग्यता, जहां उम्मीदवारों को न्यूनतम 55% अंकों के साथ मास्टर डिग्री पास होना अनिवार्य है। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य आरक्षित श्रेणियों के लिए अंकों की सीमा में कुछ छूट दी जाती है।

UGC NET की परीक्षा संरचना

UGC NET परीक्षा दो पेपरों में विभाजित होती है। पहला पेपर सामान्य योग्यता का होता है, जिसमें उम्मीदवार की शिक्षण और शोध योग्यता का मूल्यांकन किया जाता है। दूसरा पेपर उस विषय से संबंधित होता है, जिसमें उम्मीदवार अपनी मास्टर डिग्री कर चुका होता है। UGC NET परीक्षा को ऑनलाइन माध्यम से आयोजित किया जाता है और इसमें बहुविकल्पीय प्रश्न पूछे जाते हैं।

UGC NET के लिए तैयारी कैसे करें?

UGC NET की तैयारी के लिए सही रणनीति और समय प्रबंधन बहुत जरूरी होते हैं। उम्मीदवारों को सबसे पहले परीक्षा के सिलेबस को अच्छी तरह से समझना चाहिए। इसके बाद, उन्हें पिछले वर्षों के प्रश्न पत्रों का विश्लेषण करना चाहिए और मॉक टेस्ट देकर अपनी तैयारी को मजबूत बनाना चाहिए। UGC NET में सफलता प्राप्त करने के लिए नियमित अध्ययन और निरंतर अभ्यास आवश्यक है।

UGC NET के लिए सर्वश्रेष्ठ पुस्तकें और संसाधन

UGC NET की तैयारी के लिए कई पुस्तकें और ऑनलाइन संसाधन उपलब्ध हैं। उम्मीदवारों को उन पुस्तकों का चयन करना चाहिए जो नवीनतम सिलेबस के अनुसार हों। इसके अलावा, ऑनलाइन वीडियो लेक्चर और मॉक टेस्ट भी UGC NET की तैयारी के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं। आजकल कई ऐसे ऐप और वेबसाइट्स भी हैं जो UGC NET की तैयारी में मदद करती हैं।

UGC NET में समय प्रबंधन का महत्व

UGC NET जैसी बड़ी परीक्षा के लिए समय प्रबंधन एक महत्वपूर्ण कौशल है। उम्मीदवारों को अपने अध्ययन के समय को सही से विभाजित करना चाहिए और हर विषय के लिए समय निकालना चाहिए। इसके अलावा, UGC NET के मॉक टेस्ट देकर उम्मीदवार अपनी गति और सटीकता का मूल्यांकन कर सकते हैं, जो परीक्षा के दिन मददगार साबित होता है।

UGC NET के लिए सामान्य रणनीतियाँ

  1. समझदारी से सिलेबस का विभाजन करें: UGC NET के सिलेबस को छोटे हिस्सों में विभाजित कर प्रतिदिन कुछ हिस्सा तैयार करना उपयोगी साबित होता है।
  2. पिछले वर्षों के प्रश्नपत्रों का अभ्यास करें: UGC NET की तैयारी के लिए पिछले 10 वर्षों के प्रश्नपत्रों को हल करना अनिवार्य है।
  3. मॉक टेस्ट दें: मॉक टेस्ट UGC NET के वास्तविक परीक्षा प्रारूप को समझने में मदद करते हैं और उम्मीदवारों को उनके कमजोर और मजबूत बिंदुओं को पहचानने में मदद करते हैं।

UGC NET के लिए पिछले वर्षों के रुझान

UGC NET के पिछले वर्षों के परिणाम और कटऑफ का विश्लेषण करने से उम्मीदवारों को यह समझने में मदद मिलती है कि परीक्षा कितनी प्रतिस्पर्धात्मक होती जा रही है। UGC NET की कटऑफ हर साल बदलती रहती है और इसमें कई कारक होते हैं, जैसे कि परीक्षा का कठिनाई स्तर, उम्मीदवारों की संख्या और सरकारी नीतियां।

UGC NET के बाद करियर विकल्प

UGC NET में सफल होने के बाद उम्मीदवारों के लिए कई करियर विकल्प उपलब्ध होते हैं। सबसे प्रमुख विकल्प सहायक प्रोफेसर बनने का है, जहां उम्मीदवार उच्च शिक्षा संस्थानों में पढ़ाने का काम कर सकते हैं। इसके अलावा, UGC NET में सफल उम्मीदवार रिसर्च फेलोशिप के लिए भी आवेदन कर सकते हैं, जो उन्हें अनुसंधान कार्यों के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करता है।

UGC NET और JRF में अंतर

UGC NET और JRF (जूनियर रिसर्च फेलोशिप) दोनों ही उम्मीदवारों को उच्च शिक्षा में अवसर प्रदान करते हैं। लेकिन JRF उम्मीदवारों को शोध कार्यों के लिए एक विशिष्ट आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है, जबकि UGC NET में सफलता प्राप्त करने वाले उम्मीदवार सहायक प्रोफेसर बनने के लिए पात्र होते हैं।

UGC NET के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन कोचिंग

आजकल कई ऐसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और कोचिंग संस्थान हैं जो UGC NET की तैयारी में मदद करते हैं। उम्मीदवारों को अपनी जरूरतों और समय के अनुसार कोचिंग का चयन करना चाहिए। ऑनलाइन कोचिंग प्लेटफार्म की विशेषता है कि वे लचीले समय पर अध्ययन सामग्री और मॉक टेस्ट प्रदान करते हैं, जबकि ऑफलाइन कोचिंग उम्मीदवारों को कक्षा के माहौल में पढ़ने का अवसर देती है।

UGC NET के भविष्य में बदलाव

भारत सरकार और UGC समय-समय पर UGC NET परीक्षा में कुछ बदलाव कर सकती हैं। परीक्षा के नियमों और संरचना में भविष्य में बदलाव हो सकते हैं, जो परीक्षा की प्रकृति और कठिनाई स्तर को प्रभावित करेंगे।

Conclusion

UGC NET एक महत्वपूर्ण परीक्षा है जो उच्च शिक्षा और अनुसंधान क्षेत्र में करियर बनाने के इच्छुक उम्मीदवारों के लिए दरवाजे खोलती है। यह परीक्षा उम्मीदवारों की योग्यता को परखती है और उन्हें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में मदद करती है। सही तैयारी और समर्पण के साथ, UGC NET में सफलता प्राप्त की जा सकती है।

FAQs

1. UGC NET परीक्षा कितनी बार आयोजित होती है?
UGC NET परीक्षा साल में दो बार आयोजित की जाती है।

2. UGC NET के लिए आयु सीमा क्या है?
JRF के लिए अधिकतम आयु सीमा 30 वर्ष है, जबकि सहायक प्रोफेसर के लिए कोई आयु सीमा नहीं है।

3. UGC NET के परिणाम कितने समय में घोषित होते हैं?
UGC NET के परिणाम परीक्षा के लगभग एक महीने बाद घोषित होते हैं।

4. क्या UGC NET के लिए नकारात्मक अंकन होता है?
नहीं, UGC NET में नकारात्मक अंकन नहीं होता है।

5. क्या UGC NET केवल ऑनलाइन आयोजित की जाती है?
हां, UGC NET परीक्षा अब पूरी तरह से ऑनलाइन आयोजित की जाती है।

Happy Teachers Day 2024: के उपलक्ष्य में इस लेख में हम एक महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा करेंगे

 

Happy Teachers Day 2024: के उपलक्ष्य में इस लेख में हम एक महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा करेंगे – शिक्षक

 

Happy Teachers Day 2024: के उपलक्ष्य में इस लेख में हम एक महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा करेंगे – शिक्षक। शिक्षक उन अद्वितीय व्यक्तियों में से हैं जो हमें जीवन में राह दिखाने के लिए तैयार रहते हैं। इन नामी व्यक्तियों के सम्मान के लिए हमारे देश में हर साल शिक्षक दिवस मनाया जाता है।

  • शिक्षक दिवस एक महत्वपूर्ण अवसर है जब हम अपने उन गुरुओं की स्मृति को सेल्ब्रेट करते हैं जिन्होंने हमें ज्ञान और समझ की दिशा में निरंतर मार्गदर्शन किया। शिक्षक डे 2024 के मौके पर हमें अपने शिक्षकों का सम्मान करना चाहिए और उन्हें हमारी श्रद्धा और आभार दिखाना चाहिए।
  • इस दिन शिक्षकों के लिए कार्यक्रमों और समारोह का आयोजन किया जाता है जहां छात्र उनके लिए विभिन्न कार्यक्रम और समारोह का आयोजन करते हैं। इस अवसर पर छात्रों को शिक्षकों के प्रति अपने आभार को साझा करने का अवसर मिलता है। यह दिन छात्रों के लिए भी एक मौका होता है अपने उन गुरुओं का सम्मान करने के लिए जिन्होंने उन्हें सफल बनाने में मदद की है।
  • शिक्षक दिवस के इस महान अवसर पर हम सभी को यह याद रखना चाहिए कि शिक्षक हमारे लिए क्या महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने हमें स्वतंत्र और स्वाधीन बनाने में मदद की है और हमें सही दिशा में ले जाने में साहयक होते हैं। शिक्षक दिवस एक अवसर है जब हम सभी अपने उन गुरुओं का सम्मान कर सकते हैं जिन्होंने हमें जीवन का सही रास्ता दिखाया है।
  • इस शिक्षक दिवस पर हमें ध्यान देना चाहिए कि शिक्षक हमारे लिए क्यों महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने हमें जीवन में सफलता की सीढ़ी चढ़ने के लिए जरुरी गुण सिखाए हैं। उनकी शिक्षा न सिर्फ हमारे व्यक्तिगत उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है बल्कि समाज में भी सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए महत्वपूर्ण होती है।
  • Happy Teachers Day 2024: एक अवसर है जिसे हमे एक महत्वपूर्ण और गंभीर रूप में लेना चाहिए। यह दिन हमें याद दिलाता है कि हमारे जीवन में शिक्षकों का कितना महत्व होता है और हमें उनका सम्मान कैसे करना चाहिए। इस दिन हमें अपने उन गुरुओं का सम्मान करना चाहिए जिन्होंने हमें सफल बनाने के लिए हमेशा मदद की है।
  • आखिरकार, शिक्षक दिवस हर साल एक अवसर होता है जब हम सभी को यह समझाने का मौका मिलता है कि शिक्षक हमारे जीवन में क्या महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस दिन हमें उन गुरुओं के प्रति आभारी होना चाहिए जिन्होंने हमें जीवन के सही रास्ते पर चलने के लिए मार्गदर्शन किया। इस शिक्षक दिवस पर हम सभी को उन गुरुओं का सम्मान करना चाहिए जो हर समय हमारे साथ होते हैं और हमें शिक्षित बनाने के लिए अपना सर्वस्व बहाते हैं।
  • इस लेख में हमने Happy Teachers Day 2024: के महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा की है और शिक्षकों के महत्व को उजागर किया है। इस दिन को हमें उन शिक्षकों के सम्मान में बिताना चाहिए जो हमारे जीवन में विशेष भूमिका निभाते हैं। इस टीचर्स डे 2024 पर आप भी अपने उन गुरुओं का सम्मान करें जिन्होंने आपकी जिंदगी में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

“देह व्यापार के बिना, कोई नौकरी नहीं है। बॉलीवुड चुप क्यों है?” शोभा डे ने मलयालम फिल्म उद्योग पर निशाना साधा

“देह व्यापार के बिना, कोई नौकरी नहीं है। बॉलीवुड चुप क्यों है?” शोभा डे ने मलयालम फिल्म उद्योग पर निशाना साधा

दिल्ली: मलयालम फिल्म उद्योग में हाल ही में एक तूफान आया है। जस्टिस हेमा आयोग की रिपोर्ट जारी होने के बाद, महिला अभिनेत्रियाँ यौन शोषण के खिलाफ़ खुलकर आवाज़ उठा रही हैं। #MeeToo की तरह, अब महिला फ़िल्म अभिनेत्रियाँ मलयालम फ़िल्म उद्योग के काले सच को उजागर कर रही हैं, जिसने कई प्रसिद्ध अभिनेताओं और निर्देशकों को प्रभावित किया है। लेखिका शोभा डे ने इस मुद्दे पर बॉलीवुड की चुप्पी और मलयालम फ़िल्म निर्देशक मोहनलाल के गायब होने की कड़ी आलोचना की है।

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अब तक करीब एक दर्जन से ज्यादा एक्टरों, डायरेक्टरों और प्रड्यूसरों को रेप और यौन उत्पीड़न के आरोपों का सामना करना पड़ा है. मोहनलाल ने एसोसिएशन ऑफ मलयालम मूवी एक्टर्स (AMMA) के प्रमुख के पद से इस्तीफा दे दिया था. लेखिका शोभा डे ने इस कायरता के लिए मोहनलाल को जिम्मेदार ठहराया. उनका कहना है कि मोहनलाल ने उस पद पर रहते हुए लोगों के लिए न्याय सुनिश्चित करने के बजाय पद से इस्तीफा दे दिया. उनका कहना है कि फिल्म निकाय की कार्यकारी समिति के सभी सदस्यों ने भी इस्तीफा दे दिया. शोभा डे ने कहा, उठो और इंसान बनो, अपनी टीम के अन्य सदस्यों से पीड़ितों की जिम्मेदारी लेने और उन लोगों की मदद करने के लिए कहो.

हेमा कमेटी की रिपोर्ट पर 5 साल तक कुछ नहीं होना दुखद

शोभा डे ने NDTV से कहा कि इस मामले में दुख की बात यह है कि करीब 5 सालों तक जस्टिस हेमा कमेटी की रिपोर्ट वहीं पड़ी रही, लेकिन कुछ भी नहीं किया गया. अपने रोज के कामकाज और हालात से निराश मलयालम फिल्म इंडस्ट्री की कुछ महिलाओं ने एक अलग ग्रुप शुरू किया. ये महिलाएं 15-20 पुरुषों द्वारा नियंत्रित एक क्लब से परेशान थीं, जो न सिर्फ उनके कामकाजी बल्कि उनकी निजी लाइफ पर भी पूरा कंट्रोल कर रहे थे.

“2017 में किडनैपिंग और रेप का मामला सामने आया था. आज मलयालम फिल्म इंडस्ट्री को लेकर लोगों के रिएक्शन सामने आ रहे हैं. मलयालम सिनेमा के लिए यह नया नहीं है. यह बहुत ही व्यापक है. यह बॉलीवुड में भी हो रहा है और बंगाली और कर्नाटक फिल्म इंडस्ट्री भी इससे अछूती नहीं है.

महिलाएं पूरी तरह से आवाजहीन और शक्तिहीन

शोभा डे ने #MeToo मामलों के पीछे एक बड़ी वजह “पितृसत्तात्मक व्यवस्था” को बताया, जिसने फिल्म इंडस्ट्री पर कब्जा जमाया हुआ है. उन्होंने कहा कि फिल्म इंडस्ट्री जिस तरह से काम करती है, वह बहुत ही घृणित, जहरीली पितृसत्तात्मक व्यवस्था है. महिलाएं पूरी तरह से आवाजहीन और शक्तिहीन लगती हैं, इसलिए चीजों को बदला जाना जरूरी है. उन्होंने कहा कि मैं बहुत ही निराश हूं, हैरान हूं कि यह सब हो रहा है और मोहनलाल की अध्यक्षता वाली स्ट्रॉन्ग कार्यकारी समिति को सामूहिक रूप से इस्तीफा देना पड़ा, इससे क्या मदद मिलेगी?

शोभा डे का कहना है कि अच्छा नेतृत्व वह होता कि वह जहां हैं वहीं रहकर महिलाओं के खिलाफ हिंसा के अपराधियों के खिलाफ कुछ कार्रवाई करते. लेकिन कहानी इसके उलट है. महिलाओं से अनैतिक डिमांड की जा रही है. यहां तक कि सेट पर टॉयलेट जैसी बेसिक सुविधाएं भी उनको नहीं दी जा रही हैं. यह बहुत ही अमानवीय होने के साथ ही संवेदनशील भी है. लोगों को इसके बारे में नहीं पता था, इसीलिए उन्होंने कुछ नहीं किया. उन्होंने हैरानी जताते हुए कहा कि इस मुद्दे पर बॉलीवुड से भी किसी भी मजबूत पुरुष की आवाज नहीं उभरी. जिन एक्टर्स ने ये देखा है, उन्होंने भी कुछ नहीं बोला. उन्होंने कहा कि महिला हो या पुरुष, जब भी बोलने की जरूरत महसूस हो तो जरूर बोना चाहिए.

“इंडस्ट्री ने एक दूसरे के साथ समझौता कर लिया”

शोभा डे ने कहा कि ऐसा लगता है कि सबके बीच एक समझौता हुआ है, कि इंडस्ट्री नें कोई एक दूसरे को नुकसान नहीं पहुंचाएगा. जो चल रहा है, उस पर ध्यान नहीं दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि हेमा कमेटी की रिपोर्ट में जो भी है, वह कोई नई बात नहीं है. बॉलीवुड ने अपनी महिलाओं को नहीं बख्शा, इसी लिए कितनीही महिलाएं आवाज उठा पाती हैं. क्या कभी आपने बंगाल फिल्म इंडस्ट्री की महिलाओं के बारे में सुना है.

बॉलीवुड की आवाज तक नहीं निकल रही

शोभा ने डे ने कहा कि “बॉलीवुड के बड़े स्टार्स कहां हैं, उन्होंने इतना भी नहीं कहा कि ‘हम पीड़ितों के साथ खड़े हैं, हम इन पीड़ितों के साथ एकजुटता से खड़े हैं, जो इंडस्ट्री में पुरुषों की वजह से परेशान हैं. उन्होंने कहा कि जब तक वह समीकरण नहीं बदलेगा, कुछ भी ज्यादा बदलता नहीं दिख रहा, क्योंकि पुरुषों का नियंत्रण है. वही तय करते हैं कि कौन अंदर जाएगा और कौन बाहर रहेगा, किसे नौकरी मिलेगी, किसे भूमिका मिलेगी. कौन सी महिलाएं एक निर्देशक, निर्माता, एक कैमरापर्सन के साथ बिस्तर पर जाने को तैयार

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