Happy Teachers Day 2024: के उपलक्ष्य में इस लेख में हम एक महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा करेंगे

Happy Teachers Day 2024:

 

Happy Teachers Day 2024: के उपलक्ष्य में इस लेख में हम एक महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा करेंगे – शिक्षक

 

Happy Teachers Day 2024:

Happy Teachers Day 2024: के उपलक्ष्य में इस लेख में हम एक महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा करेंगे – शिक्षक। शिक्षक उन अद्वितीय व्यक्तियों में से हैं जो हमें जीवन में राह दिखाने के लिए तैयार रहते हैं। इन नामी व्यक्तियों के सम्मान के लिए हमारे देश में हर साल शिक्षक दिवस मनाया जाता है।

  • शिक्षक दिवस एक महत्वपूर्ण अवसर है जब हम अपने उन गुरुओं की स्मृति को सेल्ब्रेट करते हैं जिन्होंने हमें ज्ञान और समझ की दिशा में निरंतर मार्गदर्शन किया। शिक्षक डे 2024 के मौके पर हमें अपने शिक्षकों का सम्मान करना चाहिए और उन्हें हमारी श्रद्धा और आभार दिखाना चाहिए।
  • इस दिन शिक्षकों के लिए कार्यक्रमों और समारोह का आयोजन किया जाता है जहां छात्र उनके लिए विभिन्न कार्यक्रम और समारोह का आयोजन करते हैं। इस अवसर पर छात्रों को शिक्षकों के प्रति अपने आभार को साझा करने का अवसर मिलता है। यह दिन छात्रों के लिए भी एक मौका होता है अपने उन गुरुओं का सम्मान करने के लिए जिन्होंने उन्हें सफल बनाने में मदद की है।
  • शिक्षक दिवस के इस महान अवसर पर हम सभी को यह याद रखना चाहिए कि शिक्षक हमारे लिए क्या महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने हमें स्वतंत्र और स्वाधीन बनाने में मदद की है और हमें सही दिशा में ले जाने में साहयक होते हैं। शिक्षक दिवस एक अवसर है जब हम सभी अपने उन गुरुओं का सम्मान कर सकते हैं जिन्होंने हमें जीवन का सही रास्ता दिखाया है।
  • इस शिक्षक दिवस पर हमें ध्यान देना चाहिए कि शिक्षक हमारे लिए क्यों महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने हमें जीवन में सफलता की सीढ़ी चढ़ने के लिए जरुरी गुण सिखाए हैं। उनकी शिक्षा न सिर्फ हमारे व्यक्तिगत उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है बल्कि समाज में भी सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए महत्वपूर्ण होती है।
  • Happy Teachers Day 2024: एक अवसर है जिसे हमे एक महत्वपूर्ण और गंभीर रूप में लेना चाहिए। यह दिन हमें याद दिलाता है कि हमारे जीवन में शिक्षकों का कितना महत्व होता है और हमें उनका सम्मान कैसे करना चाहिए। इस दिन हमें अपने उन गुरुओं का सम्मान करना चाहिए जिन्होंने हमें सफल बनाने के लिए हमेशा मदद की है।
  • आखिरकार, शिक्षक दिवस हर साल एक अवसर होता है जब हम सभी को यह समझाने का मौका मिलता है कि शिक्षक हमारे जीवन में क्या महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस दिन हमें उन गुरुओं के प्रति आभारी होना चाहिए जिन्होंने हमें जीवन के सही रास्ते पर चलने के लिए मार्गदर्शन किया। इस शिक्षक दिवस पर हम सभी को उन गुरुओं का सम्मान करना चाहिए जो हर समय हमारे साथ होते हैं और हमें शिक्षित बनाने के लिए अपना सर्वस्व बहाते हैं।
  • इस लेख में हमने Happy Teachers Day 2024: के महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा की है और शिक्षकों के महत्व को उजागर किया है। इस दिन को हमें उन शिक्षकों के सम्मान में बिताना चाहिए जो हमारे जीवन में विशेष भूमिका निभाते हैं। इस टीचर्स डे 2024 पर आप भी अपने उन गुरुओं का सम्मान करें जिन्होंने आपकी जिंदगी में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

“देह व्यापार के बिना, कोई नौकरी नहीं है। बॉलीवुड चुप क्यों है?” शोभा डे ने मलयालम फिल्म उद्योग पर निशाना साधा

शोभा डे ने मलयालम फिल्म उद्योग पर निशाना साधा

“देह व्यापार के बिना, कोई नौकरी नहीं है। बॉलीवुड चुप क्यों है?” शोभा डे ने मलयालम फिल्म उद्योग पर निशाना साधा

शोभा डे ने मलयालम फिल्म उद्योग पर निशाना साधा

दिल्ली: मलयालम फिल्म उद्योग में हाल ही में एक तूफान आया है। जस्टिस हेमा आयोग की रिपोर्ट जारी होने के बाद, महिला अभिनेत्रियाँ यौन शोषण के खिलाफ़ खुलकर आवाज़ उठा रही हैं। #MeeToo की तरह, अब महिला फ़िल्म अभिनेत्रियाँ मलयालम फ़िल्म उद्योग के काले सच को उजागर कर रही हैं, जिसने कई प्रसिद्ध अभिनेताओं और निर्देशकों को प्रभावित किया है। लेखिका शोभा डे ने इस मुद्दे पर बॉलीवुड की चुप्पी और मलयालम फ़िल्म निर्देशक मोहनलाल के गायब होने की कड़ी आलोचना की है।

ये भी पढ़ें-मलयालम इंडस्ट्री को एक और झटका, इस एक्टर पर यौन उत्पीड़न का मामला हुआ दर्ज

अब तक करीब एक दर्जन से ज्यादा एक्टरों, डायरेक्टरों और प्रड्यूसरों को रेप और यौन उत्पीड़न के आरोपों का सामना करना पड़ा है. मोहनलाल ने एसोसिएशन ऑफ मलयालम मूवी एक्टर्स (AMMA) के प्रमुख के पद से इस्तीफा दे दिया था. लेखिका शोभा डे ने इस कायरता के लिए मोहनलाल को जिम्मेदार ठहराया. उनका कहना है कि मोहनलाल ने उस पद पर रहते हुए लोगों के लिए न्याय सुनिश्चित करने के बजाय पद से इस्तीफा दे दिया. उनका कहना है कि फिल्म निकाय की कार्यकारी समिति के सभी सदस्यों ने भी इस्तीफा दे दिया. शोभा डे ने कहा, उठो और इंसान बनो, अपनी टीम के अन्य सदस्यों से पीड़ितों की जिम्मेदारी लेने और उन लोगों की मदद करने के लिए कहो.

हेमा कमेटी की रिपोर्ट पर 5 साल तक कुछ नहीं होना दुखद

शोभा डे ने NDTV से कहा कि इस मामले में दुख की बात यह है कि करीब 5 सालों तक जस्टिस हेमा कमेटी की रिपोर्ट वहीं पड़ी रही, लेकिन कुछ भी नहीं किया गया. अपने रोज के कामकाज और हालात से निराश मलयालम फिल्म इंडस्ट्री की कुछ महिलाओं ने एक अलग ग्रुप शुरू किया. ये महिलाएं 15-20 पुरुषों द्वारा नियंत्रित एक क्लब से परेशान थीं, जो न सिर्फ उनके कामकाजी बल्कि उनकी निजी लाइफ पर भी पूरा कंट्रोल कर रहे थे.

“2017 में किडनैपिंग और रेप का मामला सामने आया था. आज मलयालम फिल्म इंडस्ट्री को लेकर लोगों के रिएक्शन सामने आ रहे हैं. मलयालम सिनेमा के लिए यह नया नहीं है. यह बहुत ही व्यापक है. यह बॉलीवुड में भी हो रहा है और बंगाली और कर्नाटक फिल्म इंडस्ट्री भी इससे अछूती नहीं है.

महिलाएं पूरी तरह से आवाजहीन और शक्तिहीन

शोभा डे ने #MeToo मामलों के पीछे एक बड़ी वजह “पितृसत्तात्मक व्यवस्था” को बताया, जिसने फिल्म इंडस्ट्री पर कब्जा जमाया हुआ है. उन्होंने कहा कि फिल्म इंडस्ट्री जिस तरह से काम करती है, वह बहुत ही घृणित, जहरीली पितृसत्तात्मक व्यवस्था है. महिलाएं पूरी तरह से आवाजहीन और शक्तिहीन लगती हैं, इसलिए चीजों को बदला जाना जरूरी है. उन्होंने कहा कि मैं बहुत ही निराश हूं, हैरान हूं कि यह सब हो रहा है और मोहनलाल की अध्यक्षता वाली स्ट्रॉन्ग कार्यकारी समिति को सामूहिक रूप से इस्तीफा देना पड़ा, इससे क्या मदद मिलेगी?

शोभा डे का कहना है कि अच्छा नेतृत्व वह होता कि वह जहां हैं वहीं रहकर महिलाओं के खिलाफ हिंसा के अपराधियों के खिलाफ कुछ कार्रवाई करते. लेकिन कहानी इसके उलट है. महिलाओं से अनैतिक डिमांड की जा रही है. यहां तक कि सेट पर टॉयलेट जैसी बेसिक सुविधाएं भी उनको नहीं दी जा रही हैं. यह बहुत ही अमानवीय होने के साथ ही संवेदनशील भी है. लोगों को इसके बारे में नहीं पता था, इसीलिए उन्होंने कुछ नहीं किया. उन्होंने हैरानी जताते हुए कहा कि इस मुद्दे पर बॉलीवुड से भी किसी भी मजबूत पुरुष की आवाज नहीं उभरी. जिन एक्टर्स ने ये देखा है, उन्होंने भी कुछ नहीं बोला. उन्होंने कहा कि महिला हो या पुरुष, जब भी बोलने की जरूरत महसूस हो तो जरूर बोना चाहिए.

“इंडस्ट्री ने एक दूसरे के साथ समझौता कर लिया”

शोभा डे ने कहा कि ऐसा लगता है कि सबके बीच एक समझौता हुआ है, कि इंडस्ट्री नें कोई एक दूसरे को नुकसान नहीं पहुंचाएगा. जो चल रहा है, उस पर ध्यान नहीं दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि हेमा कमेटी की रिपोर्ट में जो भी है, वह कोई नई बात नहीं है. बॉलीवुड ने अपनी महिलाओं को नहीं बख्शा, इसी लिए कितनीही महिलाएं आवाज उठा पाती हैं. क्या कभी आपने बंगाल फिल्म इंडस्ट्री की महिलाओं के बारे में सुना है.

बॉलीवुड की आवाज तक नहीं निकल रही

शोभा ने डे ने कहा कि “बॉलीवुड के बड़े स्टार्स कहां हैं, उन्होंने इतना भी नहीं कहा कि ‘हम पीड़ितों के साथ खड़े हैं, हम इन पीड़ितों के साथ एकजुटता से खड़े हैं, जो इंडस्ट्री में पुरुषों की वजह से परेशान हैं. उन्होंने कहा कि जब तक वह समीकरण नहीं बदलेगा, कुछ भी ज्यादा बदलता नहीं दिख रहा, क्योंकि पुरुषों का नियंत्रण है. वही तय करते हैं कि कौन अंदर जाएगा और कौन बाहर रहेगा, किसे नौकरी मिलेगी, किसे भूमिका मिलेगी. कौन सी महिलाएं एक निर्देशक, निर्माता, एक कैमरापर्सन के साथ बिस्तर पर जाने को तैयार

महाराष्ट्र: शिवाजी की मूर्ति ढहने की घटना की जांच करेगी नौसेना; ठेकेदार और साझेदारों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई दर्ज की गई

महाराष्ट्र: शिवाजी की मूर्ति ढहने की घटना की जांच करेगी नौसेना;

महाराष्ट्र: शिवाजी की मूर्ति ढहने की घटना की जांच करेगी नौसेना; ठेकेदार और साझेदारों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई दर्ज की गई

महाराष्ट्र: शिवाजी की मूर्ति ढहने की घटना की जांच करेगी नौसेना;

महाराष्ट्र: शिवाजी की मूर्ति ढहने की घटना की जांच करेगी नौसेना;  ने कल देर रात इस मामले पर एक बयान जारी किया, जिसमें उसने कहा कि नौसेना ने दुर्भाग्यपूर्ण घटना की तुरंत जांच के लिए आवश्यक कदम उठाए हैं।

महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले के एक किले में मराठा शासक छत्रपति शिवाजी महाराज की 35 फीट ऊंची प्रतिमा के ढहने के मामले में स्थानीय पुलिस ने ठेकेदार जयदीप आप्टे और सहयोगी चेतन पाटिल के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। दोनों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 109, 110, 125, 318 और 3(5) के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। सिंधुदुर्ग पुलिस ने इस बारे में जानकारी दी है। वहीं, दूसरी ओर भारतीय नौसेना ने भी इसे लेकर बड़ा कदम उठाया है। नौसेना ने इस मामले में जांच का आदेश दिया है। साथ ही प्रतिमा की मरम्मत और उसे पुन: स्थापित करने के लिए एक टीम की प्रतिनियुक्ति की है। बता दें कि इस प्रतिमा का अनावरण पिछले साल नौसेना दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। इस घटना के बाद विपक्षी दलों ने राज्य की शिंदे सरकार की आलोचना की और आरोप लगाया कि काम की गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया गया था
भारतीय सेना ने देर रात इस मामले में बयान जारी किया। इसमें नौसेना ने कहा कि उसने इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना की तुरंत जांच के लिए जरूरी कदम उठाए हैं। नौसेना ने कहा कि भारतीय नौसेना आज सुबह छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा को हुए नुकसान पर गहरी चिंता व्यक्त करती है, जिसका अनावरण सिंधुदुर्ग के नागरिकों के प्रति समर्पण के रूप में 4 दिसंबर, 2023 को नौसेना दिवस पर किया गया था। बयान में आगे कहा गया है कि राज्य सरकार और संबंधित विशेषज्ञों के साथ नौसेना ने इस दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना के कारण की तुरंत जांच करने और प्रतिमा की जल्द से जल्द मरम्मत, और पुन: स्थापना के लिए कदम उठाने के लिए एक टीम की नियुक्ति की है।

अधिकारियों के मुताबिक, प्रतिमा मालवन स्थित राजकोट किले में दोपहर एक बजे ढही। उन्होंने बताया कि विशेषज्ञ प्रतिमा के ढहने के वास्तविक कारण का पता लगाएंगे। हालांकि, जिले में बीते दो-तीन दिनों में भारी बारिश के साथ तेज हवाएं चली हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि मौसम के कारण प्रतिमा अचानक ढह गई। पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने घटनास्थल पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया।

विपक्ष ने की शिंदे सरकार की आलोचना

इस घटना के बाद विपक्षी दलों ने राज्य की शिंदे सरकार की आलोचना की और आरोप लगाया कि काम की गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया गया था। राकांपा-एसपी के प्रदेशाध्यक्ष और पूर्व मंत्री जयंत पाटिल ने कहा, ‘‘राज्य सरकार इस घटना के लिए जिम्मेदार है क्योंकि उसने उचित देखरेख नहीं की। सरकार ने काम की गुणवत्ता पर बहुत कम ध्यान दिया। इसने केवल कार्यक्रम आयोजित करने पर ध्यान केंद्रित किया, जिसमें पीएम मोदी को प्रतिमा का अनावरण करने के लिए आमंत्रित किया गया था।’’ उन्होंने कहा कि मौजूदा महाराष्ट्र सरकार केवल नए टेंडर जारी करती है, कमीशन लेती है और उसके अनुसार ठेके देती है।


दूसरी तरफ शिवसेना-यूबीटी के विधायक वैभव नाइक ने भी काम की कथित खराब गुणवत्ता के लिए राज्य सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार जिम्मेदारी से बचने की कोशिश कर सकती है। प्रतिमा के निर्माण और स्थापना के लिए जिम्मेदार लोगों से पूछताछ होनी चाहिए।

सरकार ने दी सफाई

महाराष्ट्र के मंत्री दीपक केसरकर ने कहा, ‘‘मुझे घटना के बारे में पूरी जानकारी नहीं है। हालांकि, पीडब्ल्यूडी मंत्री रवींद्र चव्हाण ने कहा है कि मामले की विस्तृत जांच की जाएगी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम उसी स्थान पर एक नई प्रतिमा स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम मामले को तुरंत और प्रभावी ढंग से हल करने के लिए सभी जरूरी कदम उठाएंगे।’’

नासा ने सुनीता विलियम्स को वापस लाने के लिए एलन मस्क की कंपनी को क्यों चुना? ऐसी योजना सुनीता विलियम्स के बचाव अभियान के लिए बनाई गई थी,

नासा ने सुनीता विलियम्स को वापस

नासा ने सुनीता विलियम्स को वापस लाने के लिए एलन मस्क की कंपनी को क्यों चुना? ऐसी योजना सुनीता विलियम्स के बचाव अभियान के लिए बनाई गई थी,

 

नासा ने सुनीता विलियम्स को वापस जो बोइंग स्टारलाइनर पर अंतरिक्ष में गई थी और इस साल पृथ्वी पर वापस नहीं आ पाएगी। नासा ने पुष्टि की है कि स्टारलाइनर पर वापसी बहुत खतरनाक होगी और इसलिए अगले साल तक पृथ्वी पर वापस नहीं आएगी। उन्हें वापस लाने के लिए स्पेसएक्स के क्रू ड्रैगन का इस्तेमाल किया जाएगा।

  • नासा ने सुनीता विलियम्स की वापसी पर बड़ा फैसला लिया है
  • सुनीता विलियम्स की वापसी अब स्पेसएक्स के क्रू ड्रैगन से होगी
  • नासा का मानना है कि स्टारलाइनर से लौटना खतरनाक हो सकता है
  • वॉशिंगटन: नासा ने अंतरिक्ष में फंसी सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर की वापसी को लेकर बड़ा फैसला किया है। सुनीता विलियम्स की वापसी अब अगले साल होगी। वहीं बोइंग कंपनी के लिए भी एक बड़ा झटका है, क्योंकि इनकी वापसी अब बोइंग स्टारलाइनर की जगह स्पेस एक्स के क्रू ड्रैगन के जरिए होगी। नासा का मानना है कि अगर बोइंग स्टारलाइनर के जरिए उन्हें वापस लाया गया तो यह खतरनाक हो सकता है। क्रू ड्रैगन पहले भी अंतरिक्ष यात्रियों को वापस ला चुका है। बोइंग स्टारलाइनर अंतरक्षि यान की टेस्ट फ्लाइट के लिए दोनों अंतरिक्ष यात्री स्पेस में गए थे। 8 दिनों के लिए उन्हें स्पेस में रहना था, लेकिन उन्हें फंसे 80 दिन हो गए हैं।
  • बोइंग स्टारलाइनर की उड़ान सफल रही और वह अंतरिक्ष में भी पहुंच गया। लेकिन उसे प्रमुख तकनीकी समस्याओं का सामना करना पड़ा। हीलीयम लीक और थ्रस्टर में खराबी के कारण अंतरिक्ष यात्रियों के इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में लंबे समय के लिए रुकना पड़ा। नासा ने दोनों अंतरिक्ष यात्रियों की वापसी के लिए एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स से मदद लेने का फैसला किया है। नियमित अंतरिक्ष यात्री रोटेशन मिशन के तहत अगले महीने स्पेसएक्स क्रू ड्रैगन अंतरिक्ष में जाएगा। यहां आठ महीने बिताने के बाद अगले साल फरवरी में लौटेगा।

बांग्लादेश के छात्र विरोध प्रदर्शन: “हम साथ मिलकर लड़ते हैं, साथ मिलकर रहते हैं,” मोहम्मद यूनुस ने हिंदुओं के बारे में छात्रों से भावनात्मक अपील की

बांग्लादेश के छात्र विरोध प्रदर्शन: “हम साथ मिलकर लड़ते हैं, साथ मिलकर रहते हैं,” मोहम्मद यूनुस ने हिंदुओं के बारे में छात्रों से भावनात्मक अपील की

 

बांग्लादेश के छात्र विरोध प्रदर्शन: “हम साथ मिलकर लड़ते हैं, साथ मिलकर रहते हैं,” मोहम्मद यूनुस ने हिंदुओं के बारे में छात्रों से भावनात्मक अपील की

आज, बांग्लादेश में हिंदू समुदाय और अन्य अल्पसंख्यक बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा के खिलाफ एकजुट हैं। शनिवार को सैकड़ों हज़ारों अल्पसंख्यक विरोध प्रदर्शन करने और एकजुटता दिखाने के लिए सड़कों पर उतरे। बांग्लादेश की राजधानी ढाका और देश के दूसरे सबसे बड़े शहर चटगाँव में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा के विरोध में कई लोग सड़कों पर उतरे।

मोहम्मद यूनुस ने भावनात्मक अपील की

बांग्लादेश की संक्रमणकालीन सरकार के नेता मोहम्मद यूनुस ने भी नाराजगी जताई और अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा को घृणित बताया। मोहम्मद यूनुस ने प्रदर्शनकारी छात्रों से हिंदू, ईसाई और बौद्ध अल्पसंख्यकों को बचाने की अपील करते हुए कहा: “अगर आपने अपना देश बचाया है, तो आप अपने परिवार को क्यों नहीं बचा सकते? … हमें कहना चाहिए कि हम किसी को नुकसान नहीं पहुँचाएँगे। वे भी हमारे भाई हैं।” “हमने साथ मिलकर लड़ाई लड़ी है और हम साथ ही रहेंगे।”

शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद से अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद से बांग्लादेश के 52 जिलों में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की 205 घटनाएं हो चुकी हैं। इन हिंसक घटनाओं में सैकड़ों अल्पसंख्यक घायल हुए हैं और कई घर तबाह हो गए हैं। कई हिंदू मंदिर भी हिंसा की भेंट चढ़ गए हैं। हिंसा में शेख हसीना की अवामी लीग पार्टी के दो हिंदू नेता भी मारे गए। हिंदू समुदाय के हजारों सदस्य देश छोड़ने की कोशिश कर रहे हैं

शनिवार को बड़ी संख्या में अल्पसंख्यक समुदाय के लोग ढाका की सड़कों पर उतरे। प्रदर्शनकारियों ने अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा करने वालों के खिलाफ त्वरित और सख्त कार्रवाई की मांग की। साथ ही, अल्पसंख्यकों के लिए 10 प्रतिशत संसदीय सीटें आरक्षित की जानी चाहिए। अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए कानून बनाए जाने चाहिए। प्रदर्शनकारियों ने कई घंटों तक सड़कें जाम कीं। इस दौरान कई मुस्लिम और छात्रों ने भी अल्पसंख्यकों का समर्थन किया।

क्या बीजेपी योगी को मुख्यमंत्री पद से हटाने की तैयारी कर रही है? यूपी सी-वोटर सर्वे में नागरिकों की प्रतिक्रिया ने सबको चौंका दिया है।

योगी को मुख्यमंत्री पद से हटाने की तैयारी

क्या बीजेपी योगी को मुख्यमंत्री पद से हटाने की तैयारी कर रही है? यूपी सी-वोटर सर्वे में नागरिकों की प्रतिक्रिया ने सबको चौंका दिया है।

योगी को मुख्यमंत्री पद से हटाने की तैयारी

यूपी सी-वोटर सर्वे: इस सर्वे में जब पूछा गया कि यूपी में बीजेपी की हार के लिए कौन जिम्मेदार है, तो 28.3% लोगों ने कहा कि इसके लिए राज्य के नेता जिम्मेदार हैं। यूपी न्यूज़: उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के भीतर तथाकथित आंतरिक अशांति के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर एक पोल का ऐलान किया गया है। सी-वोटर ने न्यूज चैनल आजतक के लिए 1500 लोगों का यह सर्वे किया और जनता से यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बारे में सवाल पूछे। मुख्यमंत्री के तौर पर योगी को लेकर नागरिकों की प्रतिक्रिया ने सबको चौंका दिया है।

इस सर्वे में जब लोगों से पूछा गया कि यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को बीजेपी हटाने की तैयारी में है तो इस पर 42 प्रतिशत लोगों ने हां में जवाब दिया. इसके साथ ही 28.6 प्रतिशत लोगों काम मानना है कि चर्चा हो रही है और वहीं 20.2 प्रतिशत लोगों ने नहीं में जवाब दिया. वहीं इस सर्वे में जब लोगों से पूछा गया कि यूपी में बीजेपी के नुकसान का जिम्मेदार कौन हैं तो 28.3 प्रतिशत लोगों ने राज्य के नेताओं को इसका जिम्मेदार माना. वहीं 21.9 प्रतिशत लोगों ने केंद्रीय नेतृत्व और 18.8 प्रतिशत लोगों ने पार्टी संगठन को इसका जिम्मेदार माना.

इसके साथ ही इस सर्वे में लोगों से पूछा गया कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी को यूपी में सबसे ज्यादा नुकसान किससे हुआ है. इस सवाल को लेकर 22.2 प्रतिशत लोगों ने संविधान बदलने के आरोप को जिम्मेदार बताया. वहीं 49.3 प्रतिशत लोगों ने बेरोजगारी और महंगाई को भी इसके पीछे की वजह बताया.

लोकसभा में बीजेपी का रहा खराब प्रदर्शन

लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी ने चुनाव से पहले ही मिशन-80 का जिक्र कर सभी सीटों पर जीत का दावा किया था. हालांकि इस चुनाव में बीजेपी को महज 33 सीटों पर जीत मिली जो उसके चुनाव से काफी कम थीं. इसके साथ ही बीजेपी की सहयोगी पार्टियों को भी इस चुनाव में हार मिली. हालांकि रालोद अपनी दो सीटों पर जीत दर्ज कर सकी. वहीं सपा ने इस चुनाव में शानदार प्रदर्शन करते हुए 37 सीटों पर जीत दर्ज की. लोकसभा चुनाव में बीजेपी के प्रदर्शन के बाद ही यूपी में संगठन और सरकार का विवाद शुरू हो गया था.

डिप्टी सीएम और सीएम के बीच नहीं सबकुछ ठीक?

बता दें कि पिछले काफी दिनों से यूपी बीजेपी में तथाकथित कलह चल रही है, हालांकि अभी तक इस मामले को लेकर पार्टी की तरफ से कोई भी ऑफिशयल जानकारी सामने नहीं आई है. माना जा रहा है कि बीजेपी में सीएम योगी और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य व ब्रजेश पाठक के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है.

नीट 2024 केस: पेपर से लेकर ई-रिक्शा तक… नीट कांड पर सीजेआई चंद्रचूड़ की अहम टिप्पणी: अगर आपको अभी भी शिकायत है तो…

नीट 2024 केस:

नीट 2024 केस: पेपर से लेकर ई-रिक्शा तक… नीट कांड पर सीजेआई चंद्रचूड़ की अहम टिप्पणी: अगर आपको अभी भी शिकायत है तो…

नीट 2024 केस:

नई दिल्ली: नीट पेपर लीक पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला। अब नीट परीक्षा नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने लाखों छात्रों का इंतजार भी खत्म कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने नीट-यूजी मामले में अपने फैसले में कहा कि दस्तावेज लीक होना व्यापक नहीं है। इसलिए नीट के खिलाफ समीक्षा याचिका खारिज कर दी गई। सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई बेंच ने स्पष्ट किया कि कोर्ट ने ऐसा कोई निष्कर्ष नहीं निकाला है कि नीट रिकॉर्ड लीक होना व्यवस्थित नहीं था।

सीजेआई ने एनटीए को फटकार लगाई सुप्रीम कोर्ट ने नीट पेपर लीक मामले में एनटीए की ढीली नीति, गलत प्रश्नपत्रों के वितरण और भौतिकी के सवालों के गलत जवाबों के लिए अंक देने की आलोचना की। नीट-यूजी पुन: परीक्षा याचिका पर विस्तृत फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि हजारीबाग और पटना को छोड़कर नीट-यूजी 2024 परीक्षा में कोई व्यवस्थित अनियमितता नहीं हुई। न्यायालय ने कहा कि एनटीए को अपने फैसले बदलते नहीं रहना चाहिए, क्योंकि इससे केंद्रीय अधिकारियों की छवि खराब होती है।

समिति की सिफारिशें

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि सरकार द्वारा नियुक्त समिति को धोखाधड़ी को “रोकने और पता लगाने” के उपाय सुझाने चाहिए। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि समिति को एनटीए के साथ मिलकर दस्तावेजों की तैयारी से लेकर सत्यापन तक की सभी प्रक्रियाओं की बारीकी से निगरानी करने के तरीके भी खोजने चाहिए। साथ ही, प्रश्नावली के रखरखाव, भंडारण आदि की जांच के लिए एसओपी को अनुकूलित किया जाना चाहिए।

आपने उन्हें हाईकोर्ट जाने की सलाह क्यों दी?

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया है कि जिस किसी की शिकायत सुप्रीम कोर्ट के फैसले से हल नहीं होती, वह हाईकोर्ट जा सकता है। हमारा निष्कर्ष यह है कि पेपर लीक व्यवस्थित नहीं थे। पेपर लीक व्यापक नहीं थे। एनटीए को भविष्य के बारे में चिंतित होना चाहिए। ऐसी लापरवाही से बचना चाहिए। हम नीट के लिए समीक्षा याचिका को खारिज करते हैं।

सीजेआई ने ई-रिक्शा का जिक्र क्यों किया

सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि खुले ई-रिक्शा के बजाय रियल-टाइम इलेक्ट्रॉनिक लॉकिंग सिस्टम वाले बंद वाहनों में परीक्षा देने की संभावना तलाशी जानी चाहिए। समिति छात्रों के लिए मानसिक स्वास्थ्य सहायता कार्यक्रमों की योजना की भी सिफारिश करेगी। यह छात्रों पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव का भी आकलन करेगी। समिति एनटीए अधिकारियों, लेखा परीक्षकों, कर्मचारियों आदि को प्रशिक्षण प्रदान करने की व्यवहार्यता पर विचार करेगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे लेखा परीक्षा की अखंडता को ठीक से प्रबंधित करने में सक्षम हैं।